बुधवार, 24 अक्टूबर 2007
सभी पीछे पड़े हैं
एक बार फिर झारखण्ड में भोजपुरिया, मैथिल, बंगाली और उड़िया लोग द्वितीय राजभाषा की दावेदारी से झारखंडी भाषाओं को हटाने के लिए रांची की सड़कों पर लाठियाँ भांज रहे हैं। भोजपुरी लोग अपने ही गृह राज्यों यूपी आउर बिहार में भोजपुरी को राजभाषा का दर्जा नहीं दिला पाए हैं, तो मैथिल, बंगाली और उड़िया लोगों का अपने स्टेट भर से पेट नहीं भरा है। झारखण्ड की नौ आदिवासी एवं क्षेत्रीय भाषाओं का हक मारने के लिए भूखों की तरह चिल्ला रहे हैं। वाह रे मुख्यधारा और सभ्य समाज!
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