इ कोनवे झारखंडी भाषा में पहिल ब्लाग हय। हामिन इ देस में अपन भाषा और सांस्कृतिक पहचान ले बीतल ढाई सव बछर से लड़इ करत ही मुदा एखन तक ले अपनेहें राइज में बेदखल ही। अंग्रेजी तो जुलुम करबे करलक, आइझ तक हिन्दियो झारखंड कर ३२ ठो आदिवासी आउर मूल झारखंडी भाषामन के दबाय के राइख हे। से हे ले राउरे सउब से निहोरा हय कि हमिन के मदइत देऊ आउर हमिन कर भाषा संस्कृति बंचाएक कर अभियान में शामिल होऊ।
पांवों में चक्कर नही है फिर भी खुद को बेदखल और विस्थापित करता या होता रहा हूँ। रामनवमी के अखाडे में
कभी लाठियाँ नहीं चलायी लेकिन होश सम्हालते ही नास्तिक हो गया। रंगमंच के प्रेम ने ना घर का रखा और ना
ही किसी घाट लगने दिया। इन दिनों एक ऐसी भाषा में लिख-पढ़ने का काम शुरू कर दिया है, यार लोगों के मुताबिक जो कोई भाषा ही नहीं है और मैं आत्महत्या की तैयारी में हूँ।
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